आरक्षण मुक्त भारत-I

"राजनीतिक" आरक्षण मुक्त भारत-I 

यह खुला पत्र या लेख या संदेश उन सभी लोगों के लिए विशेष रूप से है जो आरक्षण मुक्त भारत का सपना देख रहे हैं या आरक्षण मुक्त भारत के लिए प्रयासरत हैं l

एक समय था जब लोगों का पास किसी भी मुद्दे पर अपने मन की भड़ास निकालने के लिए सीमित साधन थे जैसे - पत्रिकाएँ, समाचारपत्र, धरना, प्रदर्शन, रैली आदि l लेकिन यह सभी माध्यम उस समय भी आम आदमी के बस में नहीं था और आज भी नहीं है l लोग किसी भी मुद्दे पर अपने मन की भड़ास आपस में बात या बहस करके निकल लेते थे l लेकिन समय बदला और IT युग आया और इसने मन की भड़ास निकालने का एक सरल एवं सुगम और लगभग फ्री माध्यम लोगों के सामने उपलब्ध कराया जिसको सोसल मीडीया के नाम से जाना जाता है l

इसी सोसल मीडिया पर कुछ लोग आजकल आरक्षण मुक्त भारत का सपना देख रहे हैं l आरक्षण विरोधी ढेरों अकाउंट बनाकर कर अपने मन की भड़ास निकाल रहे हैं और अपनी पूरी उर्जा का उपयोग इन बातों के प्रचार एवं प्रसार मे लगा रहें हैं l

ध्यान देने वाली बात यह है की आरक्षण से मुक्ति या आरक्षण मुक्त भारत या आर्थिक आधार पर आरक्षण का क़ानून कौन बनाएगा ? निःसंदेह संसद और संसद मे क़ानून कौन बनाएगा निःसंदेह नेता लोग l ये मत भूलिए की ये वही नेता लोग हैं जो देश में आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने के लिए ज़ोर शोर से लगे हुए हैं l

यदि माननीय सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप नहीं होता तो देश में ये नेता लोग 90% + तक आरक्षण कभी का ला चुके होते और हो भी क्यों नहीं, इसी आरक्षण को तो वे मुख्य मुद्दा बनाकर एवं करोड़ों रुपया चुनावों मे फूँक कर वे सत्ता में आते हैं ऐसे में इन लोगों से आरक्षण मुक्त भारत या आर्थिक आधार पर आरक्षण की अपेक्षा करना अमावस्या की रात को पूरा चाँद देखने के बराबर है l

नेता का एक ही धर्म एवं कर्म है किसी भी तरह चुनाव जीतना एवं शासन करना l विश्वास कीजिए जिस दिन नेताओं को लगेगा की आरक्षण का विरोध करने से चुनाव जीता जा सकता है तथा शासन में भागीदारी सुनिश्चित होगी तो उसी दिन से ये नेता लोग आरक्षण का विरोध शुरू कर देंगे l

आरक्षण का विरोध वर्तमान में या भविष्य में भी संभव नहीं है क्योंकि पहली बात आरक्षण के विरुद्ध बात करके चुनाव नहीं जीता जा सकता एवं दूसरी बात देश में जिन लोगों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है उनकी आबादी का प्रतिशत बढ़ता जा रहा अर्थात् इन लोगों का वोटर के रूप में प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है दूसरी तरफ जनरल कटेगरी की आबादी का प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है अर्थात् जनरल कटेगरी का वोटर के रूप में प्रतिशत कम होता जा रहा है l

ऐसे में शासन करने की इच्छा रखने वाली कोई भी पार्टी या कोई भी राजनीतिक व्यक्ति कैसे आरक्षण का विरोध कर सकता है, यह बात आसानी से समझी जा सकती है l

कुछ लोग कहते हैं कि जब देश में 100% साक्षरता हो जाएगी तब लोग जागरूक हो जाएंगें तब वे खुद आरक्षण के विरुद्ध खड़े हो जाएँगें l ऐसी भी संभावना नहीं दिखती क्योंकि कोई भी शिक्षित या अशिक्षित व्यक्ति अपने मिलने वाले लाभ को यूँ ही नहीं छोड़ता है l केरल में साक्षरता का प्रतिशत लगभग 100% या 100% तक है तो क्या वहाँ के लोग आरक्षण के विरुद्ध खड़े हो गये हैं , उत्तर है नहीं l

विशेष बात यह है की यदि ऑफ दी रेकार्ड बात की जाय तो लगभग सभी राजनीतिक व्यक्ति आरक्षण व्यवस्था के विरुद्ध विचारधारा के मिलेंगे l ऐसा मेरा अनुभव एवं विश्वास है l लेकिन सार्वजनिक रूप से इसको स्वीकारना किसी भी राजनीतिक व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी के लिए राजनीतिक आत्महत्या जैसा है और ऐसा कोई नहीं चाहेगा l

यदि शासन में उच्च पदों पर बैठे लोग या किसी राजनीतिक पार्टी में बैठे बड़े पदाधिकारी जो आरक्षण के हिमायती हैं या आरक्षण की भक्ति करते हैं का यदि उनके जीवन से संबंधित आँकड़े (जैसे : उनके बच्चों शिक्षक, रसोइया, उनका स्टाफ, ड्राइवर, डॉक्टर, वक़ील, सलाहकार, सहायक, दोस्त, व्यसायिक मित्र, सीए, अकाउंटेंट, सुरक्षा कर्मी, साझेदार आदि किस जाति या संप्रदाय या धर्म से संबंधित हैं) जारी किए जाएँ तो निश्चित रूप से चौंकाने वाले आँकड़े सामने आएँगे l

इसलिए आप सभी लोगों से मेरा अनुरोध है कि आप लोग सबसे पहले इन आँकड़ों को एकत्रित करें एवं आरक्षण लाभार्थीयों को इसकी जानकारी दें एवं इनकी आरक्षण भक्ति का बारे में सच्चाई से अवगत कराएँ l

आरक्षण जो कभी सामाजिक सरोकार का शब्द हुआ करता था आज राजनीतिक सरोकार का शब्द बन गया है जो राजनीतिक लोगों द्वारा समय समय पर अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल किया जाता है l

आज हालात यह है की ब्राह्मण, बनिया आदि समाज भी, अर्थात् जो आरक्षण के लाभ से बंचित हैं वो भी आरक्षण की माँग कर रहें हैं l कुछ लोग सभी लोगों को आरक्षण देने की बात कर रहें हैं l

अंततः आप सभी लोगों से जो आरक्षण विरोधी अभियान में लगे हुए हैं से मेरा अनुरोध है की वास्तविकता को समझें और अपने सामर्थ्य, संसाधन, उर्जा एवं समय का सदुपयोग अपने लिए, अपने लोगों के लिए, समाज के लिए एवं देश के लिए करें l

# Subhash Verma

# Feedback at  loktantralive@hotmail.com

# "क्या आरक्षण जरुरी है"
# "डिफेंडर" (DEFENDER ) हिंदी मासिक पत्रिका दिसंबर 2016 का अंक

Comments

Popular posts from this blog

ज़िन्दगी का मतलब

आज का नेता - ऑन रिकार्ड (व्यंग)

कुछ नया करते हैं ...?