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Showing posts from September, 2019

ज्योतिषीय मुहूर्त (Astrological Auspicious Time)

ज्योतिषीय मुहूर्त (Astrological Auspicious Time) ऐसी मान्यता है कि यदि किसी भी कार्य का आरम्भ अच्छे समय में किया जाय तो उस कार्य के सफल होने की संभावना अत्यधिक रहती है । ज्योतिष में इसी अच्छे समय को मुहूर्त कहते हैं । भारतीय ज्योतिष के अनुसार मानव जीवन में अधिकतम सुख 40% होता है और न्यूनतम दुःख 60% निर्धारित है। सदैव स्मरण रहे कि मानव जीवन में अधिकाँश चीज़ें पूर्व निर्धारित होती हैं, लेकिन हमें इनकी जानकारी नहीं होती है, लेकिन व्यक्ति अपने कर्म एवं ज्योतिषीय मुहूर्त के माध्यम से अपने जीवन में अनुकूलता (Positivity) में वृद्धि और प्रतिकूलता (Negativity) में कमी कर सकता है। मेरा ज्योतिषीय अनुभव भी यह कहता है कि अध्ययन, लेखन एवं दैनिक व्यापार में मुहूर्त के माध्यम से उत्तम परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं ।  यदि आप अपने जीवन में अधिक से अधिक ज्योतिषीय मुहूर्त के हिसाब से कार्य का प्रारम्भ करें   तो इससे परिणामों में अनुकूलता में वृद्धि और प्रतिकूलता में कमी की सम्भावना निश्चित रूप से बढ़ जाएगी। दैनिक जीवन

नियमित बीमारी एवं दवा

नियमित बीमारी एवं दवा यदि किसी घर में पूरे वर्ष कोई ना कोई बीमार रहता है अर्थात पूरे वर्ष किसी ना किसी की दवाई चलती रहती है तो निश्चित रूप से अन्य कारणों के अलावा घर का वास्तु भी इसका एक मुख्य कारण है । यहाँ विशेष बात यह है कि घर के वास्तु के अलावा पीड़ित व्यक्ति का वास्तु ज्यादा ख़राब रहता है ।   लेकिन व्यक्ति के ग्रह गोचर और ज्योतिषीय दशा के हिसाब से स्थिति में कमी या बढ़त होती रहती है ।   ऐसे व्यक्तियों को मेरा परामर्श है कि वे समय रहते किसी ज्ञानी एवं अनुभवी ज्योतिषी से अवश्य परामर्श प्राप्त कर अधिक कष्ट प्राप्ति की संभावनाओं में कमी सुनिश्चित करें । आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है I धन्यवाद !  सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य www.facebook.com/astroshakti astroshakti@hotmail.com www.astroshakt

कुंडली का 12 वां घर (भाव)

कुंडली का 12 वां घर ( भाव ) किसी भी व्यक्ति के जीवन में जन्म कुंडली ( लग्न कुंडली ), चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली का विशेष महत्व है । यदि किसी की कुंडली में लग्नेश अपने से 12 वें घर ( भाव ) में स्थित है तो वह व्यक्ति उस ग्रह से सम्बंधित समस्याओं से पूरी ज़िन्दगी पीड़ित रहता है ।   और यदि तीनों कुंडलियों में यही स्थिति हो तो समस्या को विकट ही समझिये । लेकिन व्यक्ति के ग्रह गोचर और ज्योतिषीय दशा के हिसाब से स्थिति में कमी या बढ़त होती रहती है ।   ऐसे व्यक्तियों को मेरा परामर्श है कि वे समय रहते किसी ज्ञानी एवं अनुभवी ज्योतिषी से अवश्य परामर्श प्राप्त कर अधिक कष्ट प्राप्ति की संभावनाओं में कमी सुनिश्चित करें । आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है I धन्यवाद !  सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य www.facebook.com

ज्योतिष में मूल समस्या -III

ज्योतिष में मूल समस्या -III ज्योतिष से सम्बन्ध रखने वाले एवं इसके जानने वाले लोगों को यह अच्छी तरह मालूम है कि ज्योतिषी बनने के लिए किसी की भी जन्म कुंडली में कुछ विशेष योग एवं विशेष ग्रह स्थिति होती है । लेकिन आज इन्हीं लोगों ने कुकुरमुत्ते की तरह जगह जगह ज्योतिष सिखाने वाले संस्थान खोल रखे हैं जो 3/6/12/24 महीने में किसी को भी ज्योतिषी बनाने को तैयार बैठे हैं । चाहे वह 20 वर्ष का युवा हो या 60/70 वर्ष का बुजुर्ग हो । चाहे उसकी कुंडली में ज्योतिष बनने वाले योग एवं ग्रह स्थिति और ठीक दशा हो या ना हो । स्वाभाविक रूप से इन ज्योतिष संस्थानों से सम्बंधित जो लोग होंगे उनका सम्बन्ध ज्योतिष से अवश्य होगा । ऐसे में यदि इन संस्थानों को ज्योतिषी बनाने वाले कारखाने कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । और ऐसे में एक निश्चित समय के बाद इन संस्थानों से अधकचरा ज्ञान हासिल करके जब ये लोग ज्योतिषी के रूप में जनता के बीच अपनी ज्योतिषीय उपायों की दुकान   चलायेंगें तो परिणाम क्या आएगा, यह बताने की आवश्यकता नहीं है । क्योंकि परिणाम हमारे सामने आते ही रहते हैं । आये दिन ऐसे ही लोगों का भंडाफोड़ स

ज्योतिष में मूल समस्या -II

ज्योतिष में मूल समस्या -II आजकल संचार माध्यम या मीडिया वाले अपने ज्योतिष कार्यक्रम में ग्लैमर, मसालेदार या लच्छेदार शब्दों का प्रयोग कर लोगों की भावनाओं का व्यावसायिक दोहन कर रहे हैं । इस दौड़ में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता है । कोई भी कुछ भी लिखने या बोलने या दिखाने के लिए स्वतंत्र है । कोई मर्यादा नहीं, कोई परंपरा नहीं, कोई संस्कार नहीं, कोई नीति नहीं, कोई बंधन नहीं, कहीं कोई रोक टोक नहीं, दूर दूर तक कोई पूछने वाला या कहने वाला नहीं । सब अपने अपने स्तर पर आम जनों का व्यावसायिक दोहन या आर्थिक शोषण करने में लगे हैं । परिणाम हमारे सामने है । कोई कोई तो मात्र Rs.500 से 50,000/- में भाग्य बदलने का दावा करते पाए गए हैं । हद तो यहाँ तक हो गयी है कि Rs.30 या 50/- मूल्य वाली मासिक ज्योतिष पत्रिका में Rs.200/- मूल्य का रुद्राक्ष तथा साथ में कुछ उपहार भी होता है, जो पूरी तरह मुफ्त होता है, और जो जीवन की दिशा और दशा बदलने के लिए पर्याप्त बताया जाता है । ऐसे में आम लोगों को स्वयं समझ लेना चाहिए कि   इनमें कितनी सच्चाई हो सकती है या यह कितना कारगर हो सकता है । मेरी लगभग सभी वर्गों

ज्योतिष में मूल समस्या -I

ज्योतिष में मूल समस्या -I जैसा की सर्वविदित है कि आजकल ज्योतिष एवं जातक के बीच एक अविश्वास की दिवार खड़ी हो गयी है । ऐसी स्थिति क्यों आयी है इसके लिए थोड़ा पीछे जाना आवश्यक हो गया है । एक समय था जब भगवन या देवी एवं देवतागण के पश्चात समाज में ज्योतिषी ही अति पूज्यनीय व्यक्ति होता था । लेकिन आजकल ज्योतिषी का नाम आते ही अधिकांशतः लोग उसको ठग एवं ढोंगी कहते हैं । देखा जाय तो ज्योतिष एक आध्यात्मिक , सात्विक , आस्था एवं श्रद्धा का विषय है । बल्कि यदि यह कहा जाय कि ज्योतिष का मूल आधार ही यही है तो कोई अतिश्योक्ति न होगी । लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इसने व्यावसायिकता का रूप लेना प्रारम्भ किया और आज यह कहने या मानने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि यह लगभग पूरी तरह व्यावसायिक हो गया है । और अन्य क्षेत्रों की भांति यह भी पूरी तरह व्यावसायिक मानसिकता वाले लोगों के हाथों में चला गया है , जिनकी मानसिकता इसके सहारे या माध्यम से केव