ज्योतिष में मूल समस्या -II


ज्योतिष में मूल समस्या -II

आजकल संचार माध्यम या मीडिया वाले अपने ज्योतिष कार्यक्रम में ग्लैमर, मसालेदार या लच्छेदार शब्दों का प्रयोग कर लोगों की भावनाओं का व्यावसायिक दोहन कर रहे हैं । इस दौड़ में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता है । कोई भी कुछ भी लिखने या बोलने या दिखाने के लिए स्वतंत्र है । कोई मर्यादा नहीं, कोई परंपरा नहीं, कोई संस्कार नहीं, कोई नीति नहीं, कोई बंधन नहीं, कहीं कोई रोक टोक नहीं, दूर दूर तक कोई पूछने वाला या कहने वाला नहीं । सब अपने अपने स्तर पर आम जनों का व्यावसायिक दोहन या आर्थिक शोषण करने में लगे हैं । परिणाम हमारे सामने है । कोई कोई तो मात्र Rs.500 से 50,000/- में भाग्य बदलने का दावा करते पाए गए हैं । हद तो यहाँ तक हो गयी है कि Rs.30 या 50/- मूल्य वाली मासिक ज्योतिष पत्रिका में Rs.200/- मूल्य का रुद्राक्ष तथा साथ में कुछ उपहार भी होता है, जो पूरी तरह मुफ्त होता है, और जो जीवन की दिशा और दशा बदलने के लिए पर्याप्त बताया जाता है । ऐसे में आम लोगों को स्वयं समझ लेना चाहिए कि  इनमें कितनी सच्चाई हो सकती है या यह कितना कारगर हो सकता है ।

मेरी लगभग सभी वर्गों के लोगों से बात हुई, जिसका निष्कर्ष यह निकलता है कि आज ज्योतिषीय उपायों के नाम पर जनता का जमकर शोषण हो रहा है । इस दौड़ में शामिल हर व्यक्ति या संस्था अपने अपने स्तर पर लोगों का शोषण कर अपना व्यावसायिक हित साधने में लगे हुए हैं । आमतौर पर सबका यह कहना था कि उपाय करने से पहले इस क्षेत्र से सम्बन्धित हर व्यक्ति या संस्था अपने अपने स्तर पर लम्बे चौड़े दावे करते हैं लेकिन जब उपायों के बाद परिणाम नहीं मिलता तो ये लोग बगलें झांकने लग जाते हैं तथा अपनी सफाई में यह कहते पाए जाते हैं कि हमने तो पूरी कोशिश की आगे प्रभु की इच्छा । कुछ तो जातक को ही दोष देते हैं कि आपने नियम का पूरी तरह पालन नहीं किया तो हम क्या करें ? यहाँ मेरा मानना या कहना मात्र यह है कि यही बात जातक को उपायों से पहले कह दिया जाय तो जातक शायद अपने को ठगा हुआ ना समझेगा । देखा जाय तो इसमें जातक की भी कम गलती नहीं है या जातक भी कम दोषी नहीं है । बहुत से जातक ऐसे होते हैं जो किसी भी कीमत पर मनोबांछित परिणाम चाहते हैं, ऐसे में क्या हो सकता है यह कहने की आवश्यकता नहीं है ।

सर्वविदित है कि घोर कलयुग का समय है, कदम कदम पर लुटेरे बैठे हैं । और ऐसे में यदि जातक खुद लुटने को तैयार हो तो लुटेरों का क्या कसूर ? वह तो बैठा ही है इसी काम के लिए । कई जगह से धोखा खाये लोगों से जब मैनें कहा कि आप लोग इसके खिलाफ आवाज़ क्यों नहीं उठाते, तो उनका उत्तर था कि पहले तो आर्थिक नुकसान उठा लिया अब जगहंसाई करवाने से क्या फायदा ।  इसी मानसिकता का फायदा ढोंगी या ठग लोग उठाते हैं । समय समय पर संचार माध्यम या मीडिया वाले इनका भांडा भी फोड़ते हैं ।

मेरा मानना है कि जातक एवं ज्योतिषी दोनों ही इस स्थिति के लिए सामान रूप से ज़िम्मेदार हैं । वैसे तो अपने अपने समर्थन में सबके अपने तर्क होते हैं । वैसे भी जब कोई भी किसी भी कीमत पर मनचाहा परिणाम या चमत्कार चाहेगा तो ऐसे में ठगे जाने कि पूरी पूरी संभावना तो रहती ही है । आज हालत यह है कि ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से हर समस्या का समाधान शतप्रतिशत या सौ प्रतिशत गारंटी के साथ करने वाले जगह जगह मिल जायेंगे । इन लोगों से सावधान रहने की ज़रुरत है । यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि पूर्णतया समाधान तो केवल भगवान ही कर सकते हैं, जिसका आधार भी पूर्णतया हमारे कर्म ही होते हैं ।

आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है I

धन्यवाद ! सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य
www.astroshakti.in

Comments

Popular posts from this blog

ज़िन्दगी का मतलब

आज का नेता - ऑन रिकार्ड (व्यंग)

कुछ नया करते हैं ...?