Posts

Showing posts from July, 2017

चीनियों का बहिष्कार

सामाजिक     चीनियों का बहिष्कार सभी अंध नेता भक्त , अंध पार्टी भक्त एवं अंध देश भक्तों को समर्पित है ये लेख ।   आजकल सोशल मीडिया पर अंध भक्त लोग चीनी सामानों का बहिष्कार कर अपनी देश भक्ति को दिखाने का उपदेश दे रहे हैं । सबसे पहले ये समझ लो की सरकार चाहे तो इम्पोर्ट ही नहीं होगा , चलो मान लिया की सरकार की अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की बाध्यता है या मज़बूरी है लेकिन देश भक्त व्यापारी तो चीन से इम्पोर्ट बंद कर सकते हैं लेकिन वो ऐसा नहीं करते   क्योंकि चीन से इम्पोर्ट में व्यापारी और सरकार दोनों को फायदा है । आज प्रत्येक भारतीय की ( कुछ अपवादों को छोड़कर ) जीवन शैली चीनी उत्पादों पर किस कदर निर्भर हो गयी है यह आप कल्पना भी नहीं कर सकते । देश की हालत ऐसी हो गयी है कि बिना चीनी उत्पाद के आप न तो नौकरी कर सकते हैं न ही व्यापार । समझो ज्ञानी लोगों आज आप की लाइफ ही नहीं नौकरी और व्यापर भी चीन पर निर्भर है ..? कंप्यूटर , प्रिंटर , मोबाइल ,  ए

मूर्ख-तंत्र

"कविता"         मूर्खतंत्र     ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र है, कहते हैं लोभी के देश में, ठग कभी भूखा नहीं मरता, जनता एवं नेता इसको चरितार्थ कर रहे हैं, क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र है …….! जनता को सब मुफ़्त चाहिए, नेता को बस सत्ता चाहिए, क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र है….! नेता वादा करता रहा, जनता धोखे खाती रही, नेता सपने दिखाता रहा, जनता सपने देखती रही, क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र है…..! जनता है लोभ की मारी, नेता है ठगी को मज़बूर, जनता लोभी एवं नेता ठग है, दोनों मिलकर मूर्खतंत्र को चरितार्थ कर रहे हैं…….! जनता सच सुनती नहीं, नेता को सच भाता नहीं, सच है सच से दूर, क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र है……! ना दूर होगी कभी भुखमरी, ना दूर होगी कभी अशिक्षा, ना दूर होगी कभी बेरोज़गारी, न दूर होगा कभी भ्रष्टाचार, क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र है ….! जनता लुट रही है - नेता लूट रहा है, क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं...मूर्खतंत्र है...मूर्खतंत्र है...! # Subhash Verma # Feedback at loktantralive@hot

दिल्ली की मुस्कान

''कविता''        दिल्ली की मुस्कान ये दिल्ली की मुस्कान है यारों , ये सब कुछ समेत लेती है , जब देश का कोई कोना रोता है , तब , दिल्ली मंद - मंद मुस्करती है , जब देश का कोई कोना विपदा में होता है , तो , दिल्ली में गर्माहट आ जाती है , जब देश का कोई कोना दैविक विपदा का में होता है , तब , दिल्ली आट्टाहास लगती है , जब देश का कोई कोना मातम में डूबता है , तब , दिल्ली शतरांज़ की बाज़ी बीछाती है , जब देश का कोई कोना दंगाग्रस्त होता है , तब , दिल्ली में हलचल बढ़ ज़ाती है , जब देश का कोई कोना जल रहा होता है , तब , दिल्ली अपना हाथ सेंकती है , जब देश में गमी होती है तो , तब , दिल्ली में मुस्कान होती है , ये दिल्ली की मुस्कान है यारों , ये सब कुछ समेत लेती है   l बड़ी ज़ालिम है ये , बड़ी कातिल है ये , गम , दर्द , आँसू इसको भाते हैं , तरक्की और खुशी इसकी मज़बूरी है , ऩफा - नुकसान का हिसाब ये खूब समझती है , ये दि