आज का नेता - ऑफ रिकार्ड (व्यंग)
( आज का नेता ऑफ रिकार्ड क्या सोचता है और क्या बोलता है यह हमने एक पत्रकार और नेता के वार्तालाप (सवाल-जवाब) को व्यंग के माध्यम से बताने का प्रयास किया है l किसी भी बात का या शब्दों का किसी से मिलना महज़ संजोग हो सकता है या माना जायेगा l किसी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को ठेस पहुँचाने की हमारी बिल्कुल भी मंशा नहीं है l ) सवाल : नेता जी बाहर विजय घोष और अंदर लगातार फोन की घंटी, बधाई हो, क्या कहना है आपका ? जवाब : देखिये बाहर जो विजय घोष आप सुन रहे हैं वो सब भाड़े पर आये हैं अपना पैसा खर्च करके कोई नहीं आता जय घोष करने और अंदर जो घंटी बज रही है यह बधाई देने वालों की नहीं है, बल्कि उन लोगों की है जिनसे हमने चुनाव में पैसा लिया था, वो लोग अपने काम और ब्याज समेत पैसे वापसी की लगातार याद दिलाये जा रहे हैं, जनता के पास तो हमारा नंबर ही नहीं होता है l अब समझे आप यही हमारा नेताओं वाला असली लोकतंत्र है l सवाल : नेता जी चुनाव होते रहते हैं लेकिन जनता का कुछ होता क्यों नहीं ? जवाब : जी जनाव, जनता का कुछ होगा भी कैसे l पहले चुनावी खर्चा लाख में था फिर लाखों में हुआ फिर करोड़ और अब करोड़ों मे