लोकतंत्र के बाजार में राजनीतिक उत्पाद

लोकतंत्र के बाजार में राजनीतिक उत्पाद (Political Product in Democracy Market) यह लेख उन सभी सत्ताधारी एवं सत्ताविहीन राजनीतिक व्यक्ति, सत्ताधारी एवं सत्ताविहीन राजनीतिक दल, देश के सभी मतदाता और भविष्य में इन क्षेत्रों में जो आने वाले हैं को समर्पित है जिस प्रकार कम्पनियां अपने सेल्स मैन या सेल्स टीम के साथ अपने उत्पाद को देश के बाजार में बेचने का काम करती हैं उसी प्रकार कंपनी रूपी राजनीतिक दल अपने सेल्स मैन या सेल्स टीम रूपी नेताओं को अपने राजनीतिक उत्पाद (Political Product) को लोकतंत्र के बाजार में (Democracy Market or Market of Democracy) बेचने का काम करती हैं l सभी नेता या राजनीतिक दल अपनी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से समय-समय पर राजनीतिक उत्पादों को बेचने का काम करते रहते हैं l आजकल राजनीतिक उत्पाद के रूप में जो उत्पाद प्रचलन में हैं उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं : विकास, अपराध, कानून-व्यवस्था, सुरक्षा, शिक्षा, किसान, भुखमरी, रोज़गार, चुनावी वादे, सब्सिडी, क़र्ज़ माफ़ी, चुनावी जुमले, आरक्षण, सरकारी आंकड़ेबाजी, सड़क, बिजली, पानी, दलित, महिला, भ्रष्टाचार, कालाधन, नक्सलवाद, आतंकवाद, दंगे, जाति, धर्म और आवश्यकतानुसार या समयानुसार कभी-कभी किसी भी व्यक्ति विशेष जैसे गाँधी जी या अम्बेडकर जैसे नाम भी इस्तेमाल होते रहते हैं l कुछ ऐसे राजनीतिक उत्पाद हैं जिन पर कुछ एक विशेष राजनीतिक दल अपना दावा ठोकतें हैं जैसे : धारा 370, राम मंदिर, सामान आचार संहिता, देश भक्ति, दलित, आरक्षण, समाजवाद आदि l और कुछ ऐसे राजनीतिक उत्पाद भी हैं जो थोड़े समय के लिए लोकतंत्र के बाजार में आते हैं जैसे : कैशलेश, डिजिटल इंडिया, ऑनलाइन सेवाएं, गाय, तीन तलाक़, लव-जेहाद, बलात्कार, अपहरण, स्वच्छता, शहीद, नाम परिवर्तन, रंग परिवर्तन आदि l कुछ ऐसे राजनीतिक उत्पाद जो अभी चर्चा में नहीं हैं लेकिन भविष्य में लोकतंत्र के बाजार में इनके राजनीतिक उत्पाद के रूप में बिकने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता हैं जैसे : देश में न्यायिक व्यवस्था की स्थिति, आत्महत्या, यातायात, पार्किंग, शासन एवं प्रशासन की कार्यशैली, जवाबदेही, देश में स्वास्थ की स्थिति, पर्यावरण, क़र्ज़, उपभोक्ता के अधिकारों की स्थिति, मानवाधिकार, मिलावटी खाद्य सामग्री, नकली दवाएं, युवा की स्थिति, मीडिया की कार्यप्रणाली, चुनावी सुधार, राजनीति में नैतिकता का स्तर, लघु उद्योग की स्थिति, अवैध कब्ज़ा, अवैध निर्माण, बैंकिंग व्यवस्था में सुधार, पुलिस की कार्यप्रणाली, विकास की परिभाषा, गरीबी की परिभाषा, किसान की परिभाषा, शिक्षित की परिभाषा, वार्षिक बजट के मायने, न्यूनतम मज़दूरी की परिभाषा, प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की देश में स्थिति, देश में PHD, B.Ed., M.Ed., NET, SET, पास लोगों की स्थिति, देश में R & D की स्थिति, रोज़गार बढ़ाने वाले प्रोजेक्ट, टैक्सों का सरलीकरण, विकास किस कीमत पर, विकास किस के लिए, आरक्षण मुक्त भारत, आर्थिक आरक्षण, टोल फ्री हाईवे, स्वतंत्र निकायों की स्वतंत्रता, शिक्षा में गुणवत्ता, नेतावों के वेतन-भत्ते-पेंशन, छोटी रकम-बड़ी लूट आदि l अंततः राजनीतिक दल एवं नेताओं को हमारा सुझाव है कि भविष्य के इन राजनीतिक उत्पादों पर विचार कर इसके जल्दी ही प्रयोग करने के बारे में सोचना चाहिए और पहले आओ, पहले बेचो और पहले लाभ उठाओ को चरितार्थ करना चाहिए l

अग्रिम शुभकामनाएं ...! जय हो ....!

लेखक एवं प्रस्तुति सुभाष वर्मा Writer-Journalist-Social Activist www.LoktantraLive.in loktantralive@hotmail.com

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