कुछ नया करते हैं ...?
देश की आज़ादी को 70 वर्ष बीत चुके हैं l इन 70 वर्षों में हमने लोकतंत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए बहुत सारे प्रयोग कर लिए हैं जैसे : अल्पमत की सरकार भी चुनी और पूर्ण बहुमत की सरकार भी चुनी, सामान्य बहुमत वाली सरकार भी चुनी, गठबंधन वाली सरकार भी चुनी l
लेकिन व्यवस्था की कार्यप्रणाली में कुछ खास परिवर्तन नहीं मिला देश को l कहने को तो देश ने बहुत विकास किया है लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा वाली बात है दूसरे शब्दों में जैसे कोई व्यक्ति जन्म के 70 वर्षों के बाद 70 वर्ष का कहलाता है अर्थात वह 70 वर्ष का तो हो गया लेकिन उसकी हालत क्या वैसी भी है जैसी होनी चाहिए, उत्तर है नहीं l वही हालत देश की भी है क्योंकि 70 वर्षों के बाद भी देश पूर्णतया साक्षर नहीं हो पाया, जो हुआ भी है उसकी गुणवक्ता सबके सामने है, बिजली, पानी, सड़क, झुग्गी-झोपडी, कच्चे-मकान, भुखमरी आदि बुनियादी ज़रूरतें भी हम पूरा नहीं कर पाए l इसके लिए एक नहीं अनेक कारण हैं l निश्चित रूप से यह सोच का नहीं शोध का विषय होना चाहिए l
इस देश का कुछ नहीं हो सकता, इस देश में कुछ भी हो सकता है, हम क्या कर सकते हैं, हम कुछ नहीं कर सकते, हम कुछ भी कर सकते हैं आदि बातें हमें अक्सर सामान्य जीवन में सुनने को मिलती हैं l इसमें एक तरफ तो हताशा एवं निराशा झलकती है तो वहीँ दूसरी तरफ आशा की एक किरण भी नज़र आती है l निश्चित रूप से इन सब के लिए पहली और सबसे बड़ी जिम्मेदारी आम जनता अर्थात मतदाता की ही है क्योंकि देश की व्यवस्था के निर्माण का प्रारम्भ इन्हीं के हाथों में है l इसका साफ़ मतलब है कि मतदाता अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर रहा है l क्यों नहीं कर पा रहा है ..? ज़रूर सोचियेगा ..!
सर्वविदित है कि भारतीय मतदाता कहीं पैसे से प्रभावित है तो कहीं शराब से या कहीं लालच से ग्रसित है l वह कहीं किसी के एहसान के नीचे दबा है तो कहीं वह किसी नेता का अंध भक्त है या किसी पार्टी का अंध भक्त है l और अब तो अंध देश भक्त भी होने लगे हैं लोग l वह लोगों की बातों में भी आ जाता है l इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के प्रभाव में भी चला जाता है l कभी कभी तो वह परिवार के सदस्यों या मित्रों के दवाब में भी आ जाता है l
निश्चित रूप से अपवाद यहाँ भी होते हैं l लेकिन निश्चित रूप से बहुलता उपरोक्त से प्रभावित हो कर ही मतदान करे वालों की ही है l अर्थात मतदाता का अपना निर्णय तो नहीं के बराबर होता है और ऐसे में कैसी व्यवस्था का निर्माण होगा यह हम सभी लोग देख ही रहें हैं l
उपरोक्त पर काफी अध्ययन एवं शोध करने पर हम इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि आम मतदाता को कुछ नया सोचना एवं नया करना होगा लेकिन क्या ? इसके लिए निम्न बिंदुओं पर विचार एवं अध्ययन ज़रूरी है :-
1. नकारात्मकता एवं एकपक्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रिंट मीडिया का पूर्णतया वहिष्कार करें l 2. नकारात्मकता एवं एकपक्षीय विचारधारा वाले लोगों से दुरी बना कर रखें या हो सके तो पूर्णतया बहिष्कार करें l 3. किसी भी नेता या पार्टी की अंध भक्ति से अपने आपको ज़रूर बचाएं साथ ही अंध देश भक्ति से भी बचें साथ ही अंध भक्तों से भी अपने आप को बचाएं l 4. मतदान के समय अपने छणिक लाभ, व्यक्तिगत लाभ एवं किसी भी प्रकार के दबाब को ज़रूर तिलांजली दें l 5. केवल शिक्षित, चरित्रवान, बेदाग़, बुद्धजीवी एवं क्षेत्रीय उम्मीदवार को ही वोट दें चाहे यह किसी भी पार्टी का हो या निर्दलीय ही क्यों न हो या वह किसी भी जाति अथवा धर्म का हो l मेरा पूर्ण विश्वास ही नहीं बल्कि दावा है कि यदि आम भारतीय मतदाता उपरोक्त बिंदुओं पर अनुसरण करे तो निश्चित रूप से देश कि तस्वीर बदलेगी l क्योंकि जब असामाजिक तत्व, व्यावसायिक विचारधारा वाले एवं स्वार्थी लोग चुनाव हारने लगेंगे तो राजनीतिक पार्टियां ऐसे लोगों को टिकट ही नहीं देंगीं l
और अंततः देश को सकारात्मक एवं उत्तम परिणामों की प्राप्ति होगी l अन्यथा हमें इस देश का कुछ नहीं हो सकता या इस देश में कुछ भी हो सकता है इत्यादि वाक्यों को सुनते रहने की आदत डाल लेनी चाहिए जैसा की अभी आज़ादी के 70 वर्षों के बाद भी हो रहा है l उपरोक्त पर विचार ज़रूर कीजियेगा एवं अपनी प्रतिक्रिया अवश्य प्रेषित करें l
सभी का अग्रिम धन्यवाद् ! जय हिन्द ..!
लेखक एवं प्रस्तुति सुभाष वर्मा Writer-Journalist-Social Activist www.LoktantraLive.in loktantralive@hotmail.com
निश्चित रूप से अपवाद यहाँ भी होते हैं l लेकिन निश्चित रूप से बहुलता उपरोक्त से प्रभावित हो कर ही मतदान करे वालों की ही है l अर्थात मतदाता का अपना निर्णय तो नहीं के बराबर होता है और ऐसे में कैसी व्यवस्था का निर्माण होगा यह हम सभी लोग देख ही रहें हैं l
उपरोक्त पर काफी अध्ययन एवं शोध करने पर हम इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि आम मतदाता को कुछ नया सोचना एवं नया करना होगा लेकिन क्या ? इसके लिए निम्न बिंदुओं पर विचार एवं अध्ययन ज़रूरी है :-
1. नकारात्मकता एवं एकपक्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रिंट मीडिया का पूर्णतया वहिष्कार करें l 2. नकारात्मकता एवं एकपक्षीय विचारधारा वाले लोगों से दुरी बना कर रखें या हो सके तो पूर्णतया बहिष्कार करें l 3. किसी भी नेता या पार्टी की अंध भक्ति से अपने आपको ज़रूर बचाएं साथ ही अंध देश भक्ति से भी बचें साथ ही अंध भक्तों से भी अपने आप को बचाएं l 4. मतदान के समय अपने छणिक लाभ, व्यक्तिगत लाभ एवं किसी भी प्रकार के दबाब को ज़रूर तिलांजली दें l 5. केवल शिक्षित, चरित्रवान, बेदाग़, बुद्धजीवी एवं क्षेत्रीय उम्मीदवार को ही वोट दें चाहे यह किसी भी पार्टी का हो या निर्दलीय ही क्यों न हो या वह किसी भी जाति अथवा धर्म का हो l मेरा पूर्ण विश्वास ही नहीं बल्कि दावा है कि यदि आम भारतीय मतदाता उपरोक्त बिंदुओं पर अनुसरण करे तो निश्चित रूप से देश कि तस्वीर बदलेगी l क्योंकि जब असामाजिक तत्व, व्यावसायिक विचारधारा वाले एवं स्वार्थी लोग चुनाव हारने लगेंगे तो राजनीतिक पार्टियां ऐसे लोगों को टिकट ही नहीं देंगीं l
और अंततः देश को सकारात्मक एवं उत्तम परिणामों की प्राप्ति होगी l अन्यथा हमें इस देश का कुछ नहीं हो सकता या इस देश में कुछ भी हो सकता है इत्यादि वाक्यों को सुनते रहने की आदत डाल लेनी चाहिए जैसा की अभी आज़ादी के 70 वर्षों के बाद भी हो रहा है l उपरोक्त पर विचार ज़रूर कीजियेगा एवं अपनी प्रतिक्रिया अवश्य प्रेषित करें l
सभी का अग्रिम धन्यवाद् ! जय हिन्द ..!
लेखक एवं प्रस्तुति सुभाष वर्मा Writer-Journalist-Social Activist www.LoktantraLive.in loktantralive@hotmail.com
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