मूर्ख-तंत्र
"कविता" मूर्खतंत्र
ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र है,
कहते हैं लोभी के देश में,
ठग कभी भूखा नहीं मरता,
जनता एवं नेता इसको चरितार्थ कर रहे
हैं,
क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र
है …….!
जनता को सब मुफ़्त चाहिए,
नेता को बस सत्ता चाहिए,
क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र
है….!
नेता वादा करता रहा,
जनता धोखे खाती रही,
नेता सपने दिखाता रहा,
जनता सपने देखती रही,
क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र
है…..!
जनता है लोभ की मारी,
नेता है ठगी को मज़बूर,
जनता लोभी एवं नेता ठग है,
दोनों मिलकर मूर्खतंत्र को चरितार्थ
कर रहे हैं…….!
जनता सच सुनती नहीं,
नेता को सच भाता नहीं,
सच है सच से दूर,
क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र
है……!
ना दूर होगी कभी भुखमरी,
ना दूर होगी कभी अशिक्षा,
ना दूर होगी कभी बेरोज़गारी,
न दूर होगा कभी भ्रष्टाचार,
क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं मूर्खतंत्र
है ….!
जनता लुट रही है - नेता लूट रहा है,
क्योंकि ये लोकतंत्र नहीं...मूर्खतंत्र
है...मूर्खतंत्र है...!
# Subhash Verma
# Feedback at loktantralive@hotmail.com
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