थोड़ा इंतज़ार कर

कविता         थोड़ा  इंतज़ार  कर

अच्छा कर - बुरा कर,
पुण्य कर - पाप कर,
छल कर - कपट कर,
खूब कर - खूब कर 
जी - जान से कर ,
जोर - शोर से कर,
एक दिन तेरा भी आएगा,
जब तेरे गुणों का होगा बखान,
जो तुमने किये होंगें,
ही तुमने सोचें होंगें,
तेरे दुश्मन भी पढेंगें कशीदें,
तेरी खूबिओं के चुन चुन के,
बस थोड़ा इंतज़ार कर ,
उस दिन का-जिस दिन तूँ
शमशान में आएगा नहीं,
शमशान में लाया जायेगा
थोड़ा  इंतज़ार  कर…………..!

#  Subhash Verma
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