हवन या दहन

''कविता''        हवन या दहन

तुझे हवन पसंद है या दहन, ये तेरी मर्ज़ी है,
राम ज्ञानी थे लेकिन अभिमानी नहीं,
रावण ज्ञानी था लेकिन अभिमानी भी था,
इसीलिए आज भी राम के नाम का हवन हो रहा है,
और आज भी रावण के नाम का दहन हो रहा है,
तुझे हवन पसंद है या दहन, ये तेरी मर्ज़ी हैl
जन-धन एवं जन-मन का दोहन हो रहा है,
जनता की आह-हाय को पहचान,
इनकी खामोशी के परिणामों का इंतज़ार कर,
जनता की खामोशी को यूँ नज़रअंदाज़ मत कर,
सूनामी से पहले समुद्र की खामोशी को याद कर,
जिस दिन ये खामोशी की चादर हट जाएगी,
तेरे कर्म-फल की सूनामी बाहर जाएगी,
तब तेरे पास करने को कुछ होगा कहने को कुछ,
तुझे हवन पसंद है या दहनये तेरी मर्ज़ी है…….!
ये तेरी मर्ज़ी है......! ये तेरी मर्ज़ी है.......!

#  Subhash Verma
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