आप का काम
"कविता" आप का काम
आयु बढ़ रही है या घट रही है,
ये सोचना आप का काम है,
देश बढ़ रहा है ज़रूर लेकिन,
सुख या कष्ट की तरफ या,
विकास या विनाश की तरफ,
ये सोचना आप का काम है l
देश बढ़ रहा है ज़रूर लेकिन,
बेरोज़गारी, ग़रीबी, बदहाली,
हताशा, निराशा, कुंठा, भय,
आक्रोश, आशंका में तो नहीं,
बदलाव कैसा चाहिए आपको,
ये सोचना आप का काम है l
देश बढ़ रहा है ज़रूर लेकिन,
किसके लिए-किसके साथ,
किस सोच से-किसके सोच से,
किस नियत से-किसकी नियत से,
देश वढ़ रहा है या वढ़ रहा है,
ये सोचना आप का काम है l
# Subhash Verma
# Feedback at loktantralive@hotmail.com
Comments
Post a Comment