हे लेखनी..!
हे लेखनी..!
हे लेखनी
ध्यान देना तुम
ख्याल रखना तुम..!
लेखन पथ पर फिसल जाएँ
तो संभाल लेना तुम..!
लेखन पथ पर गिर जाएँ अगर
तो उठा लेना तुम..!
लेखनी से कोई आहत न हो
कोई बैरी न बन जाए
लोग जगें, जग जगे
ऐसा प्रयास करना तुम..!
सोये को जगाना तुम
जगे को भी जगाना तुम
निष्पक्षता को बल देना
निडरता को बरक़रार रखना
झुकने न देना, मिटने न देना
अहम न आने देना तुम..!
गतिमान रखना तुम
अस्मिता पर कोई आंच ना आये
इसका ख्याल रखना तुम..!
आत्मविश्वास को बढ़ाना तुम
अन्धविश्वास को भागना तुम..!
सृजन को तर्कपूर्ण बनाना तुम
सृजन को स्पष्ट रखना तुम..!
लेखनी को धारदार रखना तुम
कलम की धार को स्वस्थ रहना तुम..!
हे लेखनी
ध्यान देना तुम
ख्याल रखना तुम...!
लेखक एवं
प्रस्तुति
सुभाष वर्मा
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लेखक एवं पत्रकार
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