शनि से सावधान
शनि से
सावधान
जी हाँ, शनि से सावधानी ज़रूरी है क्योंकि कोई भी इससे बच नहीं सकता है । ज्योतिष में इसको सभी नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतू) में न्यायाधीश के रूप में माना एवं जाना जाता है । सर्वविदित है कि न्याय मिलने में हमेशा बिलंभ होता है और बाधाएं भी आती हैं अर्थात शनि जीवन में बिलम्भ और बाधा के कारक (कारण) भी हैं ।
जन्म कुंडली (लग्न कुंडली या चंद्र कुंडली) में शनि किसी भी भाव में स्थित हों आप इनके प्रभाव से बच नहीं सकते (अपवाद स्वरुप कुंडली के छठें भाव को छोड़ कर) । अनुभव यह कहता है कि कुंडली के लग्न या पहले भाव, चौथे भाव, पांचवें भाव, सातवें भाव और दशवें भाव में स्थित शनि वाले व्यक्ति के जीवन में समस्याएं ज्यादा होती हैं । सभी नौ ग्रहों में इनकी गति भी सबसे धीमी है । परिणाम स्वरुप ये कुंडली के किसी भी एक भाव में लगभग 30 महीने या ढ़ाई साल रहते हैं इसके साथ ही 19 वर्ष की इनकी ज्योतिषीय दशा भी होती है । इसलिए इनके प्रभाव में आया व्यक्ति सामान्यतः लम्बे समय तक पीड़ित रहता है । शनि की साढ़े साती (7.5 वर्ष) और ढैय्या (2.5वर्ष) के नाम से सभी परचित हैं । इसलिए कहा जाता है कि शनि के सुखद परिणाम जीवन में लम्बे समय के बाद ही मिलते हैं और दुखद परिणाम लम्बे समय तक रहते हैं ।
सभी जातकों से मेरा अनुरोध है कि जब भी जीवन में प्रतिकूलता लम्बे समय से चल रही हो तो आप किसी ज्ञानी एवं अनुभवी ज्योतिषी से अवश्य संपर्क करें और अपने कर्म, वास्तु एवं मुहूर्त के माध्यम से अपने जीवन में प्रतिकूलता में कमी और अनुकूलता में बृद्धि की संभावनाओं को बढ़ाएं ।
आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी
के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय
अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है I
शुभकामनाओं सहित धन्यवाद !
सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य
ज्योतिषाचार्य-रंगशास्त्री-नामशास्त्री-अंकशास्त्री-वास्तुशास्त्री-मुहूर्त
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