ज्योतिष-जरूरी जानकारी-II
ज्योतिष-जरूरी
जानकारी-II
ज्योतिष में
मूल रूप
से जिन
शब्दों (जैसे
: ग्रहों के
नाम, राशियों के नाम, नक्षत्रों के नाम, तिथियों के नाम के
अलावा तिथियों के प्रकार के
नाम, उत्तरायण, दक्षिणायन, मुहूर्त, भद्रा,
पंचक, ऋतु,
मास, शुक्ल
पक्ष, कृष्ण
पक्ष, चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण, इत्यादि ) का
प्रयोग होता
है वही
शब्द यजुर्व एवं अथर्व वेद
में प्रयोग होते हुए देखे
जा सकते
हैं ।
महाभारत काल
में ज्योतिष पूर्ण रूप से
विकसित था
। नारद
संहिता, गर्ग
संहिता, नारद
पुराण में
भी ज्योतिष की विवेचना मिलती
है ।
ज्योतिष में
पंच-सिद्धांत के अंतर्गत क्रमश
: पितामह सिद्धांत, वशिष्ट सिद्धांत, रोमक
सिद्धांत, पोलिश
सिद्धांत, सूर्य
सिद्धांत नामक
ग्रन्थ हैं
जिनमें ज्योतिष सम्बंधित उल्लेख मिलता
है ।
इसके अतिरिक्त बृहत् पराशर होरा
शास्त्र, आर्यभट्टीय, महाभट्टीय, बृहत् जातक,
बृहत् संहिता आदि कुछ अति
विशिष्ट ग्रन्थ हैं जिनमें ज्योतिष का पूर्ण विवरण
मिलता है
। ज्योतिष से सम्बंधित ये
सभी ग्रन्थ हज़ारों वर्ष पूर्व
रचित हैं
। इनके
अलावा समय
समय पर
अनेकों महान
ज्योतिषविद हैं
जिन्होनें ज्योतिष पर अनेकों ग्रन्थ लिखे हैं ।
इनमें वर्णित नियम एवं सिद्धांत आज हज़ारों वर्षों के बाद भी
उतने ही
सटीक हैं
। जिससे
ज्योतिष की
प्रमाणिकता अपने
आप परिभाषित हो जाती है
।
किसी बच्चे के जन्म समय, जन्म स्थान, जन्म दिनांक अर्थात मात्र इन तीन विवरण से ही उसके जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
अर्थात उसके जीवन में घटित होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी किसी भी ज्ञानी एवं अनुभवी ज्योतिषी से प्राप्त की जा सकती है । लेकिन यह सदैव याद रखना चाहिए कि ज्योतिषी से भी विश्लेषण में त्रुटि या भूल हो सकती है क्योंकि ज्योतिषी भी आखिरकार एक इंसान ही है । इसका मतलब यह नहीं समझना चाहिए कि ज्योतिष के नियम ठीक नहीं हैं ।
आधुनिक विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के
इस युग
में भी
कोई भी
कंप्यूटर या
सॉफ्टवेयर किसी
व्यक्ति के
बारे में
वो बातें
नहीं बता
सकता जो
एक ज्योतिषी बता सकता है,
कारण हर एक
व्यक्ति अपने
आप में
विशेष है
अर्थात एक
व्यक्ति जैसा
दूसरा कोई
हो ही
नहीं सकता
। ज्योतिष और ज्योतिषी की
प्रमाणिकता का
आलम यह
है कि
कोई व्यक्ति जब किसी विशेष
विषय या
समस्या पर
हर तरफ
से निराश
हो जाता
है तो
वह अपने
भगवान या
प्रभु के
बाद ज्योतिषी के पास ही
जाता है,
बेशक वह
सार्वजानिक रूप
से इस
बात को
ना स्वीकारे लेकिन यह सर्वमान्य एवं सर्वविदित है
।
सदैव स्मरण रहे कि पूरे ब्रह्माण्ड में आप जैसा दूसरा कोई नहीं है इसलिए
किसी से तुलना बेकार है ।
आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास
भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा,
ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है I
// धन्यवाद // सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य // astroshakti@hotmail.com
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