लोकसभा चुनाव 2019 के मायने


लोकसभा चुनाव 2014 में देश को एक नए तरह के राजनीति व्यवस्था का आगमन हुआ। जिसमें धन, मानव बल, मीडिया और व्यावसायिक नीति का अनोखा प्रयोग देखने को मिला और जिसका परिणाम पिछले पांच वर्षों में देश ने बखूबी देखा और झेला है। जहाँ तक बीजेपी का सवाल है, तो इस 2019 के लोकसभा चुनाव में यदि सबसे ज्यादा नुक्सान किसी पार्टी को होगा तो वो निश्चित रूप से बीजेपी ही होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में चूँकि बीजेपी ने राजनीतिक सफलता के एवरेस्ट पर चढ़ाई कर ली थी लेकिन यहाँ वो यह भूल गयी कि एवरेस्ट पर दुबारा चढ़ाई लगभग असंभव होती है। यहाँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बीजेपी जो देश में प्रचारित और प्रसारित कर रही है वो ज़मीनी हक़ीक़त से बिलकुल उलट है

जहाँ तक मेरा अनुभव और आकलन है उसके अनुसार बीजेपी को 100 + सीटों की प्राप्ति ही हो पायेगी। भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था है और इस व्यवस्था में किसी भी राजनीतिक दल का एक ही सूत्र होता है "सत्ता के लिए कुछ भी करेगा" और बीजेपी ने भी इसी सूत्र को आत्म साध कर लिया है। चूँकि देश में राजनीतिक क्षेत्रों में नैतिकता काफी पहले ही ख़त्म हो चुकी है, इसलिए इस सूत्र को आत्म साध करने में कोई बुराई भी नहीं है। यदि बीजेपी किसी भी तरह से सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है तो इसके दूरगामी परिणाम होंगें, जिसका आकलन आप अपने बौद्धिक स्तर के अनुसार कर सकते हैं।

दूसरी तरफ जहाँ तक कांग्रेस की बात है तो निश्चित रूप से यह पार्टी बहुमत से दूर ही रहेगी लेकिन 2014 के मुकाबले इसकी स्थिति में सुधार होगा और यह 100 + सीटों को प्राप्त करेगी। चूँकि बीजेपी के मुकाबले इसमें आक्रामकता का जबरजस्त अभाव है इसलिए यह पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के स्थान पर ही रहेगी। ऐसा नहीं है कि इस पार्टी में आक्रामक व्यवहार वाले नेताओं का अभाव है लेकिन सभी आक्रामकता की जगह रक्षात्मक मुद्रा में ही ज्यादा नज़र रहे हैं। निश्चित रूप से सबके अपने-अपने कारण होंगें और यही कांग्रेस के भारी नुकसान का कारण है।

और जहाँ तक आम आदमी पार्टी की बात है तो इसको नुकसान ही होगा कारण स्पष्ट है इसका नारा "दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा" और "कांग्रेस से गठबंधन का बुरी तरह से किया गया प्रयास" ये दोनों बातें इसकी लोकप्रियता में जबरजस्त कमी दर्ज़ कराएंगी। अरविन्द केजरीवाल की कार्यशैली का भी इसमें पूरा-पूरा योगदान रहेगा।

बसपा और सपा को लाभ होगा लेकिन JDU और लोजपा को नुकसान होगा वहीँ TMC और BJD की स्थिति लगभग वैसी ही रहेगी जैसी 2014 के चुनावों में थी

अंततः 2014 लोकसभा चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने वाला है। इन चुनावों के बाद भी देश कोई विश्व गुरु या विश्व शक्ति नहीं बनने वाला है कारण स्पष्ट हैहमारा चुनावी तंत्र और वोटरों की वोट डालने की मानसिकता”। इन चुनावों के बाद भी आम जन की समस्यावों में कोई कमी नहीं आने वाली है। कोई किसी प्रकार की गलत फहमी में ना रहे। इन चुनावों के बाद विशेष कर और निश्चित रूप से बीजेपी और कांग्रेस की कार्यशैली में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। बसपा और सपा के साथ-साथ JDU और लोजपा को भी अपने भविष्य और अस्तित्व के बारे में पुनर्विचार करना पड़ेगा। 

लेखक एवं प्रस्तुति
सुभाष वर्मा
Writer-Journalist-Social Activist
www.loktantralive.in


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