राष्ट्रवाद या राजनीतिवाद या पार्टीवाद ?
2019 आम चुनावों में भारी जीत मिलने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में लगभग 8000 लोगों को आमंत्रित किया था को की अपने आपमें एक रिकॉर्ड है। लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि इन्होनें चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल जीत के अभियान में संघर्ष करते हुए BJP के जो कार्यकर्ता मारे गए थे उनके परिजनों को भी बुलाया था, और इसमें कोई बुराई भी नहीं है। PM किसी को भी बुला सकते हैं।
लेकिन यदि यह पिछले पांच वर्षों में देश के लिए शहीद हुए सैनिकों और अर्धसैनिकों के परिजनों को भी बुला लेते तो अच्छा होता और देश को एक अच्छा सन्देश भी जाता। लेकिन यदि इतना भी नहीं कर सकते थे तो कम से कम पुलवामा में शहीद हुए जवानों के परिजनों को ही बुला लेते तो भी अच्छा होता क्योंकि इनके नाम पर वोट भी माँगा गया था। लेकिन यह भी नहीं हो सका। क्या कारण हो सकता है यह जानने के लिए ज्यादा दिमाग खपाने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि यह बिल्कुल विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक फैसला था। जहाँ तक नरेंद्र मोदी का सवाल है, तो मैं पहले भी कहता आया हूँ कि नरेंद्र मोदी पूर्ण रूप से और विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक व्यक्ति हैं इसलिए इनसे दूसरी कोई भी अपेक्षा नहीं की जा सकती और ना ही करनी चाहिए। हो सकता है कुछ लोग नरेंद्र मोदी के इस कदम को राजनीतिवाद या अवसरवाद या पार्टीवाद का नाम दें लेकिन इससे इनको कोई फर्क नहीं पड़ता और ना ही पड़ना चाहिए । अपनी 'राजनीतिक सफलता' और 'सत्ता' के लिए कोई भी नेता कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है और इसमें गलत भी कुछ नहीं है। जो राजनीतिक लोग नरेंद्र मोदी भला-बुरा कहते रहते हैं या कोसते रहते उन सभी को मेरा पुनः परामर्श है कि वो इनकी विचारधारा, मानसिकता और कार्यशैली का गहराई से अध्ययन करें और राजनीतिक सफलता के कुछ गुर ज़रूर सीखें ? जहाँ तक आमजन का सवाल है तो उनको सरकार को कोसने का कोई कारण नहीं है क्योंकि लोकतंत्र में अपनी जिस मानसिकता के साथ आपने वोट रूपी बीज बोया था वो अब प्रचंड बहुमत का पेड़ बन गया है और उसका फल तो आपको खाना ही पड़ेगा चाहे हंस कर या चाहे रो कर ? कानूनी रूप से देश आज़ाद है इसलिए आप उपरोक्त पर विचार करने के लिए या विचार व्यक्त करने के लिए पूर्णतया स्वतंत्र हैं ? जय हिन्द !
लेखक एवं प्रस्तुति सुभाष वर्मा
Writer-Journalist-Social Activist
www.LoktantraLive.in
loktantralive@hotmail.com
लेकिन यदि यह पिछले पांच वर्षों में देश के लिए शहीद हुए सैनिकों और अर्धसैनिकों के परिजनों को भी बुला लेते तो अच्छा होता और देश को एक अच्छा सन्देश भी जाता। लेकिन यदि इतना भी नहीं कर सकते थे तो कम से कम पुलवामा में शहीद हुए जवानों के परिजनों को ही बुला लेते तो भी अच्छा होता क्योंकि इनके नाम पर वोट भी माँगा गया था। लेकिन यह भी नहीं हो सका। क्या कारण हो सकता है यह जानने के लिए ज्यादा दिमाग खपाने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि यह बिल्कुल विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक फैसला था। जहाँ तक नरेंद्र मोदी का सवाल है, तो मैं पहले भी कहता आया हूँ कि नरेंद्र मोदी पूर्ण रूप से और विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक व्यक्ति हैं इसलिए इनसे दूसरी कोई भी अपेक्षा नहीं की जा सकती और ना ही करनी चाहिए। हो सकता है कुछ लोग नरेंद्र मोदी के इस कदम को राजनीतिवाद या अवसरवाद या पार्टीवाद का नाम दें लेकिन इससे इनको कोई फर्क नहीं पड़ता और ना ही पड़ना चाहिए । अपनी 'राजनीतिक सफलता' और 'सत्ता' के लिए कोई भी नेता कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है और इसमें गलत भी कुछ नहीं है। जो राजनीतिक लोग नरेंद्र मोदी भला-बुरा कहते रहते हैं या कोसते रहते उन सभी को मेरा पुनः परामर्श है कि वो इनकी विचारधारा, मानसिकता और कार्यशैली का गहराई से अध्ययन करें और राजनीतिक सफलता के कुछ गुर ज़रूर सीखें ? जहाँ तक आमजन का सवाल है तो उनको सरकार को कोसने का कोई कारण नहीं है क्योंकि लोकतंत्र में अपनी जिस मानसिकता के साथ आपने वोट रूपी बीज बोया था वो अब प्रचंड बहुमत का पेड़ बन गया है और उसका फल तो आपको खाना ही पड़ेगा चाहे हंस कर या चाहे रो कर ? कानूनी रूप से देश आज़ाद है इसलिए आप उपरोक्त पर विचार करने के लिए या विचार व्यक्त करने के लिए पूर्णतया स्वतंत्र हैं ? जय हिन्द !
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